डिजिटल इंडिया प्रोग्राम


1990 के दशक में ई-गवर्नेंस की पहल के तौर पर कई परियोजना प्रारम्भ हुई थी जैसे कि रेलवे कम्प्यूटरीकरण, भू-अभिलेख कम्प्यूटरीकरण इत्यादि जो नागरिक केन्द्रित सेवाएं प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध थी। परन्तु सीमित सुविधायों के कारण इन ई-गवर्नेंस सेवाओं से ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ पाया जिसके फलस्वरूप एक अधिक व्यापक योजना और कार्यान्वयन की जरुरत उत्पन्न हो गई जो एक प्रभावी एवं नागरिक केंद्रित शासन स्थापित कर पाए। इसलिए इ-गवर्नेंस की कमियों को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने डिजिटल इंडिया प्रोग्राम की स्वीकृति की है जिसका मुख्य लक्ष्य है " शासन को बदलने के लिए इ-गवर्नेंस को बदलना "।

परिकल्पना

भारत को एक डिजिटली सशक्त समाज एवं ज्ञान अर्थव्यवस्था में तब्दील करना

इस मिशन के मुख्य परिकल्पना क्षेत्र इस प्रकार हैं:

        -> प्रत्येक नागरिक को एक उपयोगिता के रूप में डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध कराना।
        -> प्रशासन एवं सेवाएं मांग पर उपलब्ध कराना।
        -> नागरिकों का डिजिटल अधिकारिता।

दृष्टिकोण और पद्धति:

        -> मंत्रालय/ विभाग/ राज्य, भारत सरकार द्वारा स्थापित सामान्य एवं सहायक आईसीटी आधारिक संरचना का लाभ उठाएँगे तथा मानकों और नीतिगत दिशानिर्देश विकसित/ निर्धारित करेंगे, तकनीकी सहारा प्रदान करेंगे, क्षमता निर्माण का कार्य तथा अनुसंधान एवं विकास आदि करेंगे।
        -> मौजूदा/चालू ई-गवर्नेंस उपक्रमों का उपयुक्त रूप से पुर्नोत्थान करना तथा उन्हें डिजिटल इंडिया के सिद्धांतों के साथ श्रेणीबद्ध करना। इसके अलावा, सरकारी सेवायों को जन साधारण तक बेहतर ढंग से पहुँचने के लिए नए तरीकों एवं दृष्टिकोण अपनाएं जायेंगे अर्थात प्रक्रिया पुनर्रचना, विषय क्षेत्र में वृद्धि, एकीकृत एवं अंतर-प्रचलित प्रणालियों का उपयोग तथा उभरती प्रौद्योगिकियों का परिनियोजन जैसे कि क्लाउड, मोबाइल इत्यादि।
        -> राज्य को मौका दिया जाएगा कि वह अतिरिक्त राज्य की ऐसी विशिष्ट परियोजनाओं की पहचान करें जो सामाजिक-आर्थिक जरूरतों के लिए उचित हैं तथा शामिल की जा सकती हों।
        -> ई-गवर्नेंस केंद्रीकृत पहल के माध्यम से प्रोत्साहित किया जाएगा उस सीमा तक जिसमें नागरिक केन्द्रित सेवा अभिविन्यास सुनिश्चित किया जा सके, विभिन्न ई-गवर्नेंस अनुप्रयोगों को अंतर-प्रचलित करना, आईसीटी आधारिक संरचना/ संसाधनों का सर्वोत्तम उपयोग विकेन्द्रीकृत कार्यान्वयन मॉडल अपनाते हुए।
        -> सफलताओं की पहचान की जाएगी और उनकी प्रतिकृति को अनुकूलन के साथ-साथ बढ़ावा भी दिया जाएगा।
        -> ई-गवर्नेंस परियोजनाओं के कार्यान्वयन के लिए जब भी जरुरत होगी तब जन-निजी भागीदारी को प्राथमिकता दी जाएगी लेकिन पर्याप्त प्रबंधन और रणनीतिक नियंत्रण के साथ।
        -> पहचान, प्रमाणीकरण तथा लाभ के वितरण को सुगम बनाने के लिए अनूठी पहचान को बढ़ावा दिया जाएगा।
        -> 10 प्रमुख मंत्रालयों में मुख्य सूचना अधिकारी (सीआईओ) का पद सृजित किया जाएगा जो ई-गवर्नेंस परियोजनाओं का तेजी से डिजाइन, विकास और कार्यान्वयन कराने का कार्य करेगा।

डिजिटल इंडिया प्रोग्राम के मुख्य तत्व इस प्रकार हैं:

        -> सभी के लिए ब्रॉडबैंड की उपलब्धता|
        -> मोबाइल कनेक्टिविटी के लिए सार्वभौमिक पहुँच|
        -> ऐसा ई-गवर्नेंस स्थापित करना जिससे प्रौद्योगिकी के माध्यम से सरकार को बदला जा सके|
        -> ई-क्रांति-सेवाओं का इलेक्ट्रॉनिक वितरण|
        -> सभी के लिए सूचना प्राप्त कराना|
        -> इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण|
        -> सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में रोजगार के अवसर प्राप्त कराना|